कोरोना संक्रमण की इस विकट परिस्थिति में मरीज के साथ खुद का ध्यान रखना और सुरक्षित रखना स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक बड़ा चैलेंज है
नागपुर : कहते है के स्वास्थ्य सेवा में आना बहुत नोबल ड्यूटी माना जाता है ।जैसा के सभी जानते है के इस वक़्त देश में कोरोना वॉरियर्स पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कई स्वास्थ्यकर्मियों जैसे डॉक्टर्स,नर्सेज आदि ने अपने विचार और जो चैलेंज फेस कर रहे हैं वो शेयर किया है।उनका कहना है के इस वक़्त ज्यादातर हॉस्पिटल्स में स्वास्थ्य कर्मियों जिनकी उम्र 45 वर्ष से कम है कोरोना वार्ड में या ड्यूटी लगाई जा रही है किन्तु पर्सनल प्रोटेक्शन किट होने के बावजूद मेडिकल स्टाफ को बहुत से चैलेंज फेस करने पड़ते हैं।कई घंटो की ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड और कोरोना पॉजिटिव पेशेंट्स के उपचार में देने होते हैं।ऐसे में कई बार कोई पर्सनल काम या इमरजेंसी आने पर भी एक बार वार्ड में दाखिल होने पर वह बाहर नहीं आ सकते है इसके कई सुरक्षा कारण होते हैं।
कई स्वस्थकर्मियों की शिफ्ट 6 घंटे की है तो कई की 4 घंटे की ।कुछ लोगों की ड्यूटी हर 14 दिन में अलग अलग अरेंजमेंट के हिसाब से कभी आइसोलेशन वार्ड में है तो कभी कोरोना पेशेंट वार्ड में।ऐसे में कोरोना पेशेंट का तो ध्यान रखना ही है साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है।
डॉक्टर्स और नर्सेज को अपने आपको क्वारंटाइन में भी रखना पड़ता है ताकि यदि किसी में कोरोना के लक्षण है तो उससे कोई और संक्रमित ना हो।
इस विकट परिस्थिति में स्वास्थ्य कर्मी जो अपने आपकी जान जोखिम में डाल कर हम सब की जान बचाने में लगे हैं । सच में इस प्रोफेशन को आदर्श प्रोफेशन क्यों कहा जाता है उन्होंने अपने कर्मो से साबित कर दिया है।