कोरोना लॉकडाउन: घट गया देहदान प्रतिशत
नागपुर:- कोरोना काल और रोगियों की बढ़ती संख्या ने चिकित्सा क्षेत्र पर जबरदस्त दबाव डाला है। सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना रोगियों के उपचार पर जोर दिया जा रहा है। इससे अवयव प्रत्यारोपण कम हुए हैं। कई सर्जरी को प्रलंबीत कर दिया गया है। पांच महीने में नागपुर में कोई प्रत्यारोपण नहीं किया गया है। मरणोपरांत देहदान भी लॉकडाउन द्वारा दूभर हो गया है, पांच महीनों में केवल तीन शरीर दान में प्राप्त हुए हैं।
मेडिकल छात्रों को गहराई से शरीर रचना का अध्ययन करने के लिए लाशों की आवश्यकता होती है। यह जरूरत शरीर दान के जरिए पूरी होती है। लेकिन, पिछले दस वर्षों से बहुत कम शरीर दान किया गया है। इसलिए चिकित्सा छात्रों द्वारा अपुष्ट लाशों से व्यावहारिक अध्ययन कीया जाता है। शरीर दान के बारे में जागरूकता धीरे-धीरे निर्माण हो रही है। छह घंटे के भीतर शव दान हुआ तो नेत्रहीन व्यक्ति को लाभ पहुंच सकता है। वर्ष 2017 में, उपराजधानी में 32 लोगों ने अपने शरीर दान किए थे।
हाल ही में, गोंदिया जिले के चंद्रपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल शुरू किया गया। यहां शरीर रचना पाठ्यक्रम के छात्रों को पढ़ने के लिए लाशें नहीं मिल रही थीं। यह जरूरत मेडिकल से पूरी हुई।
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मेडिकल) में 2018 में 27 शव दान किए गए। मेयो में, 5 देह को दान दिया गया था। 2019 में, 36 मेडिकल में और 9 मेयो में दान किए गए। 2020 में शरीर दान का प्रतिशत कम हुआ है। जनवरी और फरवरी के दो महीनों में, 10 देहदान किए गए। मार्च से अगस्त के बीच केवल तीन देहदान हुए।
लाश का कोरोना परीक्षण: आजकल, यह कहना मुश्किल है कि कौन कोरोना पॉजिटिव्ह होगा। इसके लिए आवश्यक है कि मरीज का इलाज करने वाला डॉक्टर का वह कोरोना पॉजिटिव्ह नहीं का प्रमाण पत्र चाहिए। यदि ऐसा कोई पत्र नहीं है, तो शरीर का कोरोना परीक्षण किया जाता है। कोरोना नहीं ऐसे लाशों के दान स्वीकार किए जाते हैं, शरिरशास्त्र विभाग प्रमुख ने बताया।