लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों के बीच भारत में लॉक डाउन की स्थिति बनती जा रही है. इस की वजह से ज्यादातर दफ्तर और संस्थान बंद हो गए हैं. कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दी जा रही है. कोरोना वायरस के प्रकोप का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. ऐसे में कई एक्सपर्ट देश में की आशंका भी जता चुके हैं. लोगों को नौकरी खोने का भी डर भी सता रहा है. अर्थशास्त्रियों की मानें तो इस स्थिति में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) या फ्री कैश गीवअवेस शुरू करने का सबसे सही वक्त है, ताकि जो लोग प्रभावित हो रहे हैं उनकी मदद हो सके। ऐसे कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार UBI से इस वक्त लाखों वर्कर्स की मदद कर सकती है, जो कोरोना की वजह से बिना तनख्वाह के होम आइसोलेशन में रहने को मजबूर हैं। ऐसे लोगों के लिए UBI एक बड़ा सहारा हो सकती है। UBI किसी राज्य में प्रत्येक वयस्क के लिए बिना शर्त नियमित पेमेंट का एक ऑप्शन है!
जिन लोगों ने इस अवधारणा का समर्थन किया है, उनमें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य और ब्रुकिंग्स इंडिया के अनुसंधान निदेशक शमिका रवि भी शामिल हैं. शमिका ने मंगलवार को एक ट्वीट के जरिए कहा कि भारत में यूनिवर्सल बेसिक इनकम के कंसेप्ट पर काम करने का ये बिल्कुल सही वक्त है. शमिका ने लिखा, ‘हम एक मंदी के बीच में हैं ऐसे में हमें राजकोषीय चिंताओं को दरकिनार रखते हुए मंदी से प्रभावित लोगों के लिए UBI को शुरू करना चाहिए।
UBI या बेसिक इनकम एक सरकारी, सार्वजनिक, पीरियॉडिक, बिना शर्त, स्वचालित और गैर-निकासी योग्य भुगतान वाला सरकारी स्कीम है, जो बिना किसी साधन, परीक्षण या काम की आवश्यकता के व्यक्तिगत आधार पर दिया जाता है. लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग.य स्टैंडिंग ने सबसे पहले गरीबी हटाने के लिए अमीर-गरीब, सबको निश्चित अंतराल पर तयशुदा रकम देने का विचार पेश किया था। उनका मानना है कि इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति अथवा बेरोजगारी का सबूत नहीं देना पड़े।
कई देशों ने UBI के लागू कर रखा है। इसके कुछ उदाहरण हैं- अमेरिका में अलास्का स्थायी निधि, ब्राजील में बोलसा फमिलिया और तेलंगाना की रायथु बंधु योजना. वहीं, आधार लिंक्ड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम एक सेमी-यूबीआई स्कीम है.
भारत में ऐसे वक्त में जब कोरोना का प्रकोप फैला है और संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में कई जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने UBI को लाने की वकालत की है. उनका कहना है कि कोविड-19 की वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मजबूर हैं। ऐसे में आशंका है कि लेबर मार्केट में रोजगार बंद हो जाए। इसलिए हमें UBI पर काम शुरू कर देना चाहिए!