देश की प्रगति के लिए कृषि क्षेत्र का विकास आवश्यक: नितिन गडकरी
नागपुर: केंद्रीय भूतल परिवहन और MSME मंत्री नितिन गडकरी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी के छात्र प्रोफेसरों के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, गन्ने से इथेनॉल का उत्पादन, तिलहन के उत्पादन में वृद्धि, सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि, ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों का विकास देश की प्रगति के लिए सभी आवश्यक हैं।
अपनी पूरी बातचीत में गडकरी ने जैव ईंधन और कृषि के विकास, ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया। भारतीय कृषि क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है। लेकिन आज हर कोई शहरों में दौड़ रहा है। पहले 85 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी। लेकिन 30 फीसदी लोग गांव से शहर में चले गए हैं। इसलिए नगर क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है। यदि हम शहर में प्रवाह को रोकना चाहते हैं, तो हमें कृषि क्षेत्र को विकसित करने और इसे आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र के विकास से गरीबी और रोजगार की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
पंजाब और हरियाणा राज्य गेहूं और चावल का एक प्रमुख उत्पादक है। सरकार किसानों के लाभ के लिए हर साल किसानों को न्यूनतम मूल कीमत का भुगतान करती है। लेकिन चूंकि स्टॉक अधिक हैं, इसलिए संचयन की समस्या को कैसे हल किया जाए यही अब बड़ा सवाल है। तिलहन पर बोलते हुए, गडकरी ने कहा, “ब्राजील और संयुक्त अमेरिका की तुलना में हमारे देश में तिलहन का उत्पादन बहुत कम है।” सोयाबीन की शुरुआत के बाद, हमारा उत्पादन 14 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक बढ़ गया।
लेकिन अब यह 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ ही है। सूरजमुखी का उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं हुआ। अधिक खाद्य तेल का उत्पादन करने के लिए तिलहन का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि देश को आज 90,000 करोड़ रुपये का तेल आयात करना पडता है।
कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सिंचाई बढ़ाने की आवश्यकता है। गडकरी ने कहा- महाराष्ट्र को बलिराजा योजना के तहत सिंचाई के लिए 40,000 करोड़ दिए गए। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत 26 अधूरी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए धन दिया। अगले 6 महीनों में कुछ परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी। यह किसानों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
फिर भी, सिंचाई कम है यह एक समस्या है। परिणामस्वरूप, किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कपास की खरीद मूल्य एक ज्वलंत मुद्दा होता रहता है। साथ ही फल और सब्जियां अंतरराष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए, जिससे कि उन्हें निर्यात किया जा सके। इससे फलों के आयात में कमी आएगी। कृषि क्षेत्र के इस तरह के विकास के बिना उसे आर्थिक रूप से सशक्त नहीं बना सकते।