नागपुर की प्रसिद्ध काली, पीली मारबत कैसे तैयार कि जाती है? पढ़िए पूरी जानकारी
नागपुर: पोला यानी तन्हा पोला के दिन नागपुर में मारबत और बड़ग्या का जुलूस निकाला जाता है. इसके द्वारा समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया जाता है। काली और पीली मारबत का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। कई लोगों को यह जानने की जिज्ञासा है कि 25 से 30 फीट लंबा यह मारबत कैसे बनती है।
काली मारबती की शुरुआत 1880 में हुई थी और पीली मारबती की शुरुआत 1984 में हुई थी। इस मराबती की चर्चा अब भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। पिछले 60 से 70 सालों से पीली मारबत बनाने का काम कर रहे गजानन शेंडे की तीसरी पीढ़ी अब यह मारबत बना रही है.
शुरुआती दिनों में पीला मारबत 5 से 6 फीट की बनाई जाती थी लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया और अब 25 से 30 फीट की सिटिंग मारबत तैयार होता है। इसके लिए बड़ी मात्रा में बांस, कागज और पुआल का उपयोग किया जाता है। जगन्नाथ बुधवार से लगभग दो महीने पहले से ही इलाके में मारबत तैयार करने का काम शुरू किया जाता है.