जामसांवली के चमत्कारिक हनुमान मंदिर में मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हनुमानजी के दर्शन किए। मध्य रात्रि 2 बजे से हनुमान जी की श्रीमूर्ति का रुद्राभिषेक,महापूजा के बाद महाआरती की गई। सुबह 5 बजे से हनुमान जी की श्री मूर्ति के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर के गर्भगृह को फूलों से सजाया गया था। प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। कई भक्त पदयात्रा कर गदा अर्पण करने पहुंचे। मंदिर ट्रस्ट कमेटी ने अयोध्या में विराजे राम लला की हूबहू प्रतिकृति मंदिर परिसर में स्थापित की ,जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही। मंदिर ट्रस्ट कमेटी और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जगह-जगह महाप्रसाद और पेयजल वितरित किया। ग्रामीण आदिवासी समाज विकास संस्थान के कार्यकर्ताओं ने श्रद्धालुओं को मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी दी।
विश्राम अवस्था में विराजमान हैं श्रीमूर्ति
भारतीय जीवन में श्रीराम के सुपात्र पवन पुत्र हनुमान जी का अत्यंत विशिष्ट स्थान है। पवन सुत के प्रति इस अगाध श्रद्धा का केंद्र है जामसांवली का हनुमान मंदिर, जहां पीपल के पेड़ के नीचे लेटी हुई अवस्था में हनुमानजी की प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमा की नाभि से पवित्र जल आता है। पांढुर्णा जिले के सौंसर तहसील मुख्यालय से 7 किमी और नागपुर-छिंदवाड़ा नेशनल हाईवे पर बजाज चौक से पांढुर्ना मार्ग पर एक किमी दूर जामसांवली का हनुमान मंदिर श्रद्धा व आस्था का केंद्र है। किवदंतियों के अनुसार हनुमान जी की श्रीमूर्ति पीपल के पेड़ के नीचे स्वयंभू प्रकट हुई है। पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान हनुमानजी की श्रीमूर्ति ऊर्ध्वमुखी है। संपूर्ण भारत वर्ष में इस तरह की ऊर्ध्वमुखी श्रीमूर्ति कहीं और नहीं है। मान्यता हैं कि यहां श्रीमूर्ति के नाभि से निकले जल से असाध्य बीमारियां ठीक होती है।