मजदूर बोले- हमें या तो खाना दें या घर जाने दें
मुंबई में पिछले 20-25 दिनों से फंसे इन मजदूरों ने बताया कि उनके पास कुछ नहीं बचा है। न खाने को सामान है और न ही रोजगार मिल रहा है। ऐसे में उनके लिए अगले 20 दिन गुजारना मुश्किल है, इसलिए वे किसी भी हाल में घर जाना चाहते हैं। जब रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने इन्हें समझाया कि ट्रेनें बंद हैं तो वे अधिकारियों की बात तक मानने को नहीं राजी हुए, इसके बाद पुलिसवालों को लाठीचार्ज करना पड़ा।
लॉकडाउन खत्म होने की अफवाह पर मंगलवार को मुम्बई की बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जुटने पर केंद्र ने नाखुशी जाहिर की है। इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की है। गृहमंत्री ने कहा कि इस से कोरोना के खिलाफ मुहिम कमजोर होगा। गृहमंत्री ने सीएम से इस तरह की घटनाओं को रोकने के प्रति सजग रहने को कहा और केंद्र का हर आम संभव मदद का आश्वासन दिया।
कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन (Lockdown) को मुंबई के बांद्रा (Bandra incident) स्टेशन की एक घटना ने फेल कर दिया है। हालांकि पुलिस ने उन्हें डंडे के जोर पर हटा तो दिया, लेकिन हजारों की संख्या में जुटे मजदूरों का सिर्फ ये ही कहना था कि सरकार या तो उन्हें खाना दे या फिर हर हाल में घर जाने दें।
मालूम हो कि बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले इन मजदूरों को भरोसा था कि आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और वे पहली ट्रेन से ही अपने गांव वापस जाएंगे। मजदूरों की इस उम्मीद को एक अफवाह ने और हवा दे दी कि लॉकडाउन खत्म कर दिया गया है। बस क्या था बांद्रा स्टेशन पर मजदूरों की भीड़ जुटना शुरू हो गई। इनमें से कई तो ऐसे मजदूर थे, जिन्हें पता भी नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा चुके हैं। इतनी भारी भीड़ देखकर अधिकारियों के पसीने छूट गए।
वहीं मजदूरों की इस मजबूरी पर केंद्र और राज्य सरकार ने राजनीति करना शुरू कर दिया है। दोनों तरफ से नेताओं ने इस घटना की जिम्मेदारी का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़कर अपना दामन साफ पाक बताने की कोशिश की है। बहरहाल, जिस मकसद से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है। बांद्रा स्टेशन की घटना ने उसे फैल कर दिया है, जबकि पूरे देश में कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित और मृतक मुंबई से ही हैं।
मजदूरों के इकट्ठा होने की घटना पर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बांद्रा में हुई घटना बहुत ही गंभीर है। हम पहले दिन से सरकार को बता रहे हैं कि जो प्रवासी मजदूर हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनकी व्यवस्था सरकार को करनी होगी। सरकार ये व्यवस्था करने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि बांद्रा जैसी जगह पर सरकार की नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर मजदूर इकट्ठा होकर कहते हैं कि हमें या तो खाना दीजिए या तो वापिस जाने दीजिए। मैं सरकार से निवेदन करता हूं कि सबसे पहले ऐसे लोगों की सुध ले।