क्या 12 साल का हिसाब देंगे कमिश्नर?
नागपुर:- जितनी आय उतना व्यय रूप में आयुक्त ने ज्यादा खर्च न करने की भूमिका ली है। परिणामस्वरूप, विकास कार्य प्रभावित हुए। मनपा में पैसा नही और पुराने कर्जे भी चुकाने है तो नए काज मुश्किल है ऐसा कमिश्नर के कहने के बाद भी महासभाद्वारा अनुरोध किए गए 12 साल के खाते का अभी भी इंतजार है क्योंकि बिते कई महीनों में सभा भी नही हुई हैं और 12 साल के हिसाब को लेकर नगरसेवकों में उत्सुकता बढ़ गई है।
सत्तारूढ़ नगरसेवक इस बात से बहुत नाराज हैं कि आयुक्त मुंढे ने विकास कार्य रोक दिए। इसलिए, फरवरी में, सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों ने आयुक्त को विकास कार्य रोकने को लेकर प्रश्न किया था। उस समय आयुक्त ने निगम की अधिक जिम्मेदारी और फंडिंग से यह स्पष्ट रूप से कह दिया था कि कार्यों को मंजूरी देना उचित नहीं।
हालांकि, आयुक्त ने इस बात पर विस्तार से नहीं बताया कि प्रतिवर्ष कितना बकाया है। इसलिए, सदस्यों ने मांग की थी कि आयुक्त को हर साल बकाया के आंकड़ों के साथ निगम की वित्तीय स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। वरिष्ठ सदस्य दयाशंकर तिवारी ने मांग की थी कि पिछले 12 वर्षों के ऋणों को आयुक्त द्वारा आगे रखा जाना चाहिए।
विकास को रोकने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का हवाला दिया जा रहा है। IRDP को सरकार की शेष राशि नहीं मिली है। राज्य सरकार, नागपुर सुधार प्रन्यास, नागपुर महानगरपालिका के पास सीमेंट सड़क के कामों में प्रत्येक में 100 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। क्यों EPF, GPF प्रदान नहीं किया गया। इसकारण गत 12 सालो का लेखा जोखा आगे रखे तब तक काज को जारी रखे यह मांग वरिष्ठ पार्षद और विधान परिषद के विधायक प्रवीण दटके द्वारा की गई थी, जिस पर आयुक्त ने पिछले 12 वर्षों का अध्ययन करने के लिए मेयर संदीप जोशी से 30 दिनों के लिए वक्त लिया है। पर कोरोनाकाल के चलते कोई बैठक बाद में नहीं हुई है, इसलिए निगम पार्षदो को 12 साल के हिसाब का बेसब्री से इंतजार है।