बिजली बिल: गलती नहीं यह लूटने की साजिश: विधायक दटके
नागपुर:- राज्य सरकार ने सिस्टम बिगाड दिया है। तीन महीने के बाद आए बिजली के भारी बिल से घरेलू उपभोक्ताओं को तो झटका लगा। इससे भी बड़ा झटका दुकानदारों को लगा है। तालाबंदी के दौरान लगभग तीन महीने तक दुकानें, प्रतिष्ठान, गोदाम बंद रहे। इस अवधि के दौरान, दुकानों में कोई प्रकाश या पंखा नहीं था। फिर भी MSEDCL ने भारी भरकम बिल भेजे हैं। अपनी गलतियों को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। और यह कोई गलती नहीं, बल्कि लोगों को लूटने की साजिश है, ऐसा भाजपा शहर अध्यक्ष विधायक प्रवीण दटके ने बताया।
तालाबंदी के दौरान करीब तीन महीने तक दुकानें और प्रतिष्ठान बंद थे। विधायक दटके ने सवाल उठाया कि जब एक भी पंखा नहीं चलाया गया तो भारी बिल कैसे भेजे गए। MSEDCL अपनी गलती सुधारने के बजाय हर दिन नए नए खुलासे कर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। तालाबंदी के दौरान लोगों की आमद कम हो गई।
जिनके हाथो पर पेट पलता है उनके तो निवाले भी दुष्कर हो गए हैं। कई लोग, सामाजिक संगठनों की मदद से वह टिके हुए हैं । लेकिन अब जब लॉकडाउन धीरे-धीरे कम हो रहा है, तो MSEDCL ने जनता को झटका देना शुरू कर दिया है। घरेलू उपभोक्ताओं सहित दुकानदार लोग बिलो को लेकर परेशान हैं।
महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने खुद आगे आकर उपभोक्ता असंतोष को लेकर एक परिपत्र जारी किया। इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल से बिजली की दरें कम कर दी गई हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया है कि औसत बिल होते भी कोई गलतीया नहीं है। हालांकि, तीन महीने से कारोबार, दुकानें, गोदाम नहीं खोले गए हैं। एक भी पंखा नहीं चला है। पर कोरोना अवधि के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक बड़ा तोहफा बढे बिल के रूप मे दिया गया है।
सरकार ने सिस्टम का बाजा बजा दिया है फलत: तालाबंदी का सामना फिर से करना होगा। अब जब कोई आय नहीं बची, तो बिल का बोझ कहां से ढोए। दटके ने यह भी आरोप लगाया कि यह गलती नहीं थी बल्कि आम जनता को लूटने की साजिश है।