बैल पोला त्योहार: साज बेचने वाले गांव गांव जा रहे
नागपुर:- बैल पोला त्योहार को किसानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। लेकिन इस बार उसपर कोरोना मंडराया हुआ है। इस उत्सव पर निर्भर व्यापारी भी उत्पन्न स्थितिओ से चिंतित है। ऐसे में व्यापारियों ने साज बेचने गांव जाकर दरवाजे पर उपलब्ध कराने पर पुरजोर है, भले ही गांवों में बैलों की सजावट की सामग्री बेचना शुरू कर दिया हो पर जो बाजार हाट का मजा इस समय होता है वह ना होने से व्यापारी और किसान दोनों ही नाराज़ हैं।
कोरोना के साए में त्योहार: संक्रामक बीमारी कोरोनाने पूरे नागपुर एवं ग्रामीण इलाकों को भी अपनी चपेट में ले लिया है, इस साल कई त्योहारों पर बढ़ते मरीजों और मौतों की संख्या में भी इजाफा देख संभलकर कदम रखे जा रहे हैं। किसानों को उम्मीद थी कि इस त्योहार मे किसानों के लिए कम बंदीशे होगी।
हालांकि, परशिवनी तालुका में रोगियों की बढ़ती संख्या दोहरे शतक तक पहुंच गई है और तालुका में छह मौतें हुई हैं। कोरोना के मामले में, सरकार पोला उत्सव को शिथिल कर देगी, यह विचार अब समाप्त हो गया है। इसकारण कामठी जैसे बाजारों में रौनक मचानेवाले व्यापारीयोने गांव गांव जाकर उत्सव साज बेचने शुरू कर दिए, बेगड़, घुंगरू, मोरखी ऐसी वस्तुएं की गाँव गाँव बड़ी संख्या में अबतक बेची भी गई हैं।
किसानों की खुशी में ग्रहण: ग्रामीण क्षेत्रों में, बैल पोला त्योहार को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एकमात्र दिन है जब बैल, जो पूरे साल खेत में किसान के साथ कड़ी मेहनत करते हैं, मोती उगाते हैं। इस दिन विराम करते हैं, किसान बैलों को खाना खिलाते हैं। साल भर सेवा देने वाले बैल को एक दिन सेवा दी जाती है। इस अवसर पर बाजार में विभिन्न सजावटी सामान देखे गए हैं। हालांकि, किसानों और व्यापारियों दोनों ने यह विचार व्यक्त किया है कि बाजार में खरीदने और बेचने के लिए जो सामग्रियां मज़े हैं, वे घर पर उपलब्ध कराई में नहीं हैं।