राज्य में कोरोना दवाओं की कमी है? सच क्या है?
नागपुर:- एक ओर जहां कोरोना का प्रचलन बढ़ रहा है, वही उपराजधनी सहित विदर्भ में चिकित्सा व्यवस्था अपर्याप्त होती जा रही है। जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) ने इस मुद्दे पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना की दवा के कमी के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और न्यायमूर्ति नितिन सूर्यवंशी के समक्ष इस मामले की सुनवाई गुरुवार को हुई। DBA के अध्यक्ष एड कमल सतुजा ने यह याचिका दायर की है। नागपुर सहित पूरे विदर्भ में कोरोना के रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की कमी है। यहां तक कि प्रशासनिक उपाय भी पर्याप्त नहीं हैं। संदिग्ध मरीजों को जांच के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है।
इन त्रुटियों के कारण, सुनील मिश्रा और अॅड. शशिकांत बोरकर का निधन हुआ। रोगियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, उपचार के लिए तैयार कक्ष में स्थान अपर्याप्त है। यही नहीं, अलग-अलग जगह जांचों की रिपोर्ट भी अलग-अलग होती है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मनमाना शुल्क लिया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने आवश्यक दवाओं के साथ पर्याप्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए एक आदेश देने का अनुरोध किया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, नगर आयुक्त, मंडल आयुक्त, कलेक्टर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, चिकित्सा अधीक्षक और मेयो अधीक्षक को भी मामले में बचाव पक्ष के रूप में नामित किया गया है।