शराब बेचने पर प्रशासन की अनुमति, खिलाड़ियों की प्रैक्टिस को क्यों नहीं!
नागपुर:- शरीर के लिए हानिकारक होने के बावजूद, केवल राजस्व बढ़ाने प्रशासन ने शराब की बिक्री की अनुमति दी। हालांकि, उसी शरीर के लिए “टॉनिक” के रूप में काम करने वाले खिलाड़ियों के अभ्यास और व्यायाम को अभी तक हरी बत्ती नहीं मिली है। लॉकडाउन के कारण, राजधानी में खेल जगत लगभग साढ़े तीन महीने से पूरी तरह बंद है। शराब की अनुमति है, तो खेल क्यों नहीं? शहर के खिलाड़ियों, कोचों और खेल आयोजकों द्वारा इस तरह का गुस्सा प्रशासन के प्रति बढ गया है।
कोरोना के प्रकोप के चलते 22 मार्च को तालाबंदी शुरू हुई। लॉकडाउन बढ़कर 31 जुलाई कर दिया गया। शहर में आउटडोर और इनडोर “खेल गतिविधियां” पिछले साढेतीन माह से पूरी तरह से बंद हो गई हैं। अधिकांश खिलाड़ी अपने घरों तक सीमित हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। अवसाद और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
प्रशासन ने आवश्यक बिक्री में नहीं होने के बावजूद शराब की बिक्री की अनुमति दी। लेकिन खेल और खिलाड़ियों पर ध्यान देने का उनके पास समय नहीं। कई लोग शराब खरीदने के लिए कतार में खड़े होते हैं। दुकानों के सामने, “सामाजिक दूरी” का जहां पूरा बॅन्ड बज जाता है। खिलाड़ियों और आयोजकों को भी प्रशासन से उन्ही शर्तौ पर अभ्यास के लिए अनुमति आवश्यक है। वे “सामाजिक दूरी” के साथ मास्क और सैनिटाइज़र के उपयोग को भी तैयार हैं।
जल्द ही स्कूल भी शुरू होंगे, खेल प्रतियोगिताएं शुरू होने वाली हैं। पर्याप्त अभ्यास के बिना, खिलाड़ियों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होगा। ईसवजह अभ्यास के लिए मैदान खोला जाना चाहिए। यह मांग कराटे प्रशिक्षकों विपिन हाडके और अजय मोंढे ने प्रशासन से की है।
कोच हो रहे भुखमरी का शिकार: गर्मी के दिनों में, शहर में विभिन्न खेल प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, लॉकडाउन के कारण, इस साल सभी शिविर रद्द किए गए थे। इन प्रशिक्षण शिविरों में सैकड़ों कोच काम करते हैं। इस साल उनका पूरा सीजन बर्बाद हो गया। वे भूखे मर रहे हैं क्योंकि उन्होंने इस दौरान एक पैसा भी नहीं कमाया है।