कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जा सकता है, कांग्रेस को मोदीजी को बधाई देना चाहिए!
नागपुर:- केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के साथ महाविकास आघाड़ी की पार्टियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं। उन्हें यह कहते हुए गुमराह किया जा रहा है कि बाजार समितियां बंद हो जाएंगी। लेकिन ऐसा करने के बजाय कांग्रेस को मोदी सरकार को बधाई देनी चाहिए। राज्य के पूर्व ऊर्जामंत्री और भाजपा के प्रदेश महासचिव चंद्रशेखर बावनकुले ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार ने उनके घोषणा पत्र में उल्लेखीत कार्य को साकार किया है।
जब राजनीतिक दुकान चलाने के लिए कोई मुद्दे नहीं होते, तो इस तरह के आंदोलन किए जाते हैं और उसके बाद भी, जब रोटि भुनी नहीं जाती, तो आंदोलन उग्र कर दिए जाते हैं। विपक्ष द्वारा ठीक यही किया जा रहा है। छह बैठकों में समझौता नहीं होने का कारण यह हाल है कि, हर बार, ये लोग नई मांगें लाते जाते हैं। मांग पूरी की कि वे पेंडाल पर वापस जाकर कानून निरस्त करने पर अड जातें हैं। कांट्रेक्ट फार्मिंग खराब नहीं है। क्योंकि जब एक बड़ा किसान नवीनतम उपकरणों के साथ 10-15 किसानों की खेती करता है, तो आय में चार से पांच गुना वृद्धि होगी। संवाददाता परिषद में धर्मपाल मेश्राम, राजीव पोतदार, पूर्व विधायक मल्लिकार्जुन रेड्डी, आनंदराव राउत, जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रमेश मानकर, संध्या गोतमारे, चंदन गोस्वामी और संदीप सरोदे उपस्थित थे।
चार या पाँच एकर खेतों वाले किसान के पास परिष्कृत प्रणाली नहीं हो सकती है। इसलिए वह पारंपरिक खेती करता है। परिणामी उपज पांच से सात क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक नहीं बनती है। लेकिन अगर 10-15 किसानों की एक बड़े किसान द्वारा एक साथ खेती की जाती है, तो आय में चार से पांच गुना की वृद्धि होती है, यह अनुभव है, श्री बावनकुले ने कहा। उन्होंने जिले और नासिक में कुछ किसानों का उदाहरण भी दिया। यदि कोई व्यापारी किसान को लूटता है, तो नए कृषि अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है, जिससे किसान को भी लाभ होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास में किसी ने भी इन कानूनों को बनाने की हिम्मत नहीं की थी, यह मोदी सरकार ने किया था।
नए कृषि कानून के कारण, व्यापारी किसानों को लूट नहीं पाएंगे। आंदोलन में किसान कम और व्यापारी ज्यादा हैं और किसानों को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कानून किसानों की तरफ है। इसलिए सरकार को कानून बदलने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से, कमिशन की निर्भरता पर अपने घरों को भरने वाले किसानों को उकसा रहे है। चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यह मामला जल्द या बाद में किसानों के ध्यान में आएगा और केवल व्यापारी ही आंदोलन में बचेंगे और किसान वापस लौट आएंगे।