कोरोना काल में टेलरिंग व्यवसाय और सिलाई कामगार जूझ रहे बड़े आर्थिक संकट से
नागपुर कई दशकों से मध्य भारत का प्रमुख कपड़ा मार्केट रहा है।और कपड़ा व्यवसाय के साथ ही नागपुर में सिलाई का व्यवसाय भी फला-फूला।बहुत से टेलर्स ने अपने क्षेत्र में अच्छी पहचान बना ली थी। कोरोनावायरस के चलते लगातार दो साल से अपनी कमाई का सीजन गंवा चुके है यहां के टेलर्स।
नागपुर में बहुत अच्छे से चलने वाला सिलाई व्यवसाय भी अब ठप हो गया है। सिलाई कामगारों को भी घर चलाने और जीवित रहने के लिए संघर्ष करने करना पड़ रहा है।बहुतों से लोग तो उधार लेकर जीवन की गाड़ी खींचने का काम कर रहे है।
पहले तो यहां कारीगरों के साथ-साथ मालिकों के लिए भी एक अच्छा वक्त था।लेकिन फिर अचानक रेडीमेड चल पड़ा और टेलरिंग का धंधा बद से बदतर हो गया। शहर में टेलर और कारीगरों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन, आपको हर चौक पर एक टेलर की दुकान और हर मोहल्ले में एक शिल्पकार मिल जाएगा। कुछ समय पहले तक यही स्थिति थी।
हालांकि लोग दिवाली पर रेडीमेड पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, लग्नसराय और रमजान ईद दोनों फसल के मौसम हैं। लेकिन, कोरोना ने दोनों सीजन को लगातार दो साल तक डुबाया।मूल रूप से कम आय वाले कारीगरों ने किसी तरह अपना जीवन यापन किया। हालांकि, अब हस्तशिल्प और सिलाई पेशेवर स्थिति पर अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं कोरोना काल और लॉक डाउन ने उनकी कमर तोड़ कर रख दी है। ऐसी स्थिति में अब उनका जीवन यापन कैसे हो उनके सामने सबसे बड़ा सवाल है।