मुंढे ने लिया बदला? पढ़े क्या है मामला

नागपुर:- नगर आयुक्त तुकाराम मुंढे ने बैठक आयोजित करने सुरेश भट सभागृह से इनकार करने पर जिला परिषद में बदला लेने की चर्चा छिड़ गई है।

आयुक्त जिला परिषद के सीईओ थे। वह फरवरी 2008 में सीईओ के रूप में शामिल हुए। लगभग एक सवा साल के लिए कार्यभार था। यहां भी उनकी कार्यशैली वही थी। आरोप भी यही लगाए गए कि वे पदाधिकारियों, सदस्यों को विश्वास में नहीं लेते, उनका सम्मान नहीं करते और समितियों पर विश्वास किए बिना निर्णय लिया करते।

इसलिए, अगस्त 2008 में आयोजित आम बैठक में, उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया था। उस समय, भाजपा और शिवसेना जिला परिषद में सत्ता में थे। रमेश मानकर अध्यक्ष थे। एवं विद्यमान कृषि सभापति तपेश्वर वैद्य उपाध्यक्ष थे।

उनकी प्रतिमा को भी तत्कालीन सदस्यों ने जिला परिषद के परिसर में जला दिया था। बैठक काफी तूफानी रही थी। तत्कालीन सीईओ मुंढे ने लगभग 40 मिनट तक भाषण दिया। इसमें उन्होंने पदाधिकारियों और सदस्यों के सभी आरोपों का खंडन किया। हालांकि, सदस्य संतुष्ट नहीं थे और अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया था।

यह लगभग सभी सदस्यों द्वारा समर्थित था। बैठक में उपस्थित पंचायत समिति सभापति ने अपना वोट नहीं डाला। यही कडी मुंढे ने पकड मामला सरकारी स्तर तक ले गए। सरकार ने मुंडे की बात मान ली और अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया। चूंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री का समर्थन था, इसलिए प्रस्ताव को अस्वीकार करने की बाते चली।

अब नगर निगम ने भट सभागृह नकारने के लिए कोई कारण नहीं दिया, लेकिन फिर भी जिला परिषद में चर्चाए जारी है कि बैठक के लिए हॉल प्रदान करने से इनकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण ही था। ऐसी भी चर्चा है कि मुंडे ने सदन नकार कर अविश्वास प्रस्ताव का बदला लिया है।

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