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नागपुर की गंभीर कोवीड समस्या के संबंध में विधायक विकास ठाकरे की उपमुख्यमंत्री को अर्जी

नागपुर: मुंबई में दो-दिवसीय मानसून अधिवेशन चल रहा है। पश्चिम नागपुर के विधायक विकास ठाकरे भी मुंबई में हैं। ऐसे में उन्होंने नागपूर में बनी कोविड की गंभीर आरोग्य स्थिति, बढ़ती मृत्यु और फेल प्रशासन पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार को ज्ञापन सौंपा और मुंबई के समान तत्काल जंबो कोविड उपचार प्रणाली स्थापित करने का अनुरोध किया।

सितंबर के पहले ही सप्ताह में, नागपुर में कोरोना प्रकोप उग्र हो गया और पिछले सात दिनों में, 11,477 लोगों मे कोरोना संक्रमण हुआ है। इसी अवधि में, 320 लोग मारे गए। आंकड़े बताते हैं कि नागपुर में कोरोना तेजी से बढ़ा है। अकेले सितंबर के पहले सप्ताह, संक्रमित रोगियों की संख्या में पिछले तीन महीनों की तुलना में सात गुना बढी हुई है। 7 सितंबर तक, कुल 41,032 मरीज पंजीकृत किए गए और 1,365 लोगों की मृत्यु कोरोना के कारण हुई। 6 सितंबर को एक ही दिन में 54 संक्रमित लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 7 सितंबर को 50 संक्रमित लोगों की मृत्यु हो गई, यह ज्ञापन में कहा गया है।‌‌

नागपुर शहर में, स्थिति विकट है और सरकार के लिए नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए ध्यान देना और धन उपलब्ध कराना अत्यावश्यक है। यह दुख की बात है कि मरीजों को बेड नहीं मिलते हैं। सरकारी तीनो अस्पताल पर ग्रामीण का भी भार है, निजी अस्पतालों की भी यही स्थिति है और उनके पास कुछ भी कुछ ही बेड के साथ ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की सुविधा है। इसके अलावा, नागपुर में आम आदमी निजी अस्पताल के लिए लाखों रुपये के बिल का भुगतान करने में पूरी तरह से असमर्थ है।

परिणामस्वरूप, महात्मा फुले जीवनदायी योजना को जल्द से जल्द आम और गरीब परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करनी चाहिए। कई शिकायतें हैं कि जिन रोगियों ने स्वास्थ्य बीमा करवाया है, उन्हें कई निजी अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य बीमा से वंचित कर दिया गया है। पहले राशि जमा करवाने मजबूर किया जा रहा है, इस बारे में नोटिस तुरंत जारी किया जाना चाहिए, यह भी उन्होंने ज्ञापन में में कहा है।

मुंबई की तरह ही, MMRD की मदद से बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में सभी सुविधाओं के साथ एक जंबो अस्पताल शुरू किया गया। नागपुर में भी उसी तर्ज पर जल्द से जल्द एक जंबो अस्पताल शुरू किया जाना चाहिए। इससे कई लोगों की जान बच जाएगी। पिछले आयुक्त मुंढे ने ऐसे केंद्र की स्थापना का दावा किया गया था लेकिन अब तक नागपुर में मरीजों को एक भी बिस्तर उपलब्ध नहीं कराया गया है।‌‌ इसके अलावा, यह क्षेत्र नागपुर से 25 किमी दूर है। इस स्थान पर चिकित्सा अधिकारी, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन आदि जैसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

नागपुर के लोग डरे हुए हैं। गंभीर रूप से बीमार चल रहे कोविड मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलता है। कोई भी निजी अस्पताल उन्हें स्वीकार नहीं करता है। प्रत्येक मरीज को गंभीर स्थिति में 5-5 निजी अस्पतालों में भटकना पड़ता है। नागपुर के लोग बेहद पीड़ित हैं और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

कोरोनावायरस का पहला मामला 11 मार्च को नागपुर में पाया गया था। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने पहले सितंबर में सुझाव दिया था कि नागपुर में कोविड के रोगियों की संख्या 10,000 तक जा सकती है, लेकिन पिछले छह महीनों में स्थानीय निकायों द्वारा कोई भी प्रभावी उपाय नहीं किए गए हैं। नागपुर में, सरकारी और निजी अस्पतालों में केवल 3,078 बिस्तर उपलब्ध हैं, जबकि रोगियों की संख्या 11,477 तक पहुंच गई है।‌‌ संभव संकट पता होते भी प्रशासन की ओर से इस बारे में कुछ भी नहीं किया गया।

स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ निगम अधिकारी सिविक सुविधाओं जैसे कि सीमेंट रोड, गडर चेंबर, शॉपिंग मॉल खोलने आदि के काम में शामिल रहे। नागपूर में पांच मनपा अस्पताल में 450 बेड होकर भी एक भी कोविड पेशंट यहां भरती नहीं किया गया, चूंकि इन अस्पतालों में कोई डॉक्टर या चिकित्सा कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए इन अस्पतालों का नागपुर के लोगों के लिए कोई फायदा नहीं है। उधर दुसरी ओर बेड नही इसलिए जाने जा रहीं हैं।

नागपुर महाराष्ट्र की उप-राजधानी है, ऐसा होकर भी स्वास्थ्य सुविधाएं उक्त तरह की नहीं, तो मुंबई ही की तरह यहां पर भी तुरंत जंबो हॉस्पिटल बनाए जाने पर सरकार तुरंत मदद करे यह मांग इस ज्ञापन द्वारा उन्होंने की।

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