मुंढे ने ‘इस’ विवाद को लेकर किया बड़ा खुलासा

नागपुर: सत्तारूढ़ पार्टी और आयुक्त के बीच विवाद अब गहरा गया है। अवैध रूप से स्मार्ट सिटी के प्रभार को लेकर कुछ ठेकेदारों को धन आवंटित करने का आरोप लगाया था। यही नहीं, उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई गई।
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्मार्ट सिटी फंड के वित्तीय दुरुपयोग के लिए नगर विकास मंत्री को कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। नतीजतन, नगरपालिका हलकों में चर्चा है कि मुंडे ने खुलासा करके एक कदम वापस ले लिया है।
मुंढे ने अपने खुलासे में कहा कि नगर आयुक्त स्मार्ट सिटी (एसपीवी) के पदेन निदेशक हैं। रामनाथ सोनवणे स्मार्टसिटी के सीईओ थे। उन्होंने 11 फरवरी 2020 को प्रवीण सिंह परदेशी को अपना इस्तीफा भेज दिया। परदेसी ने तब मोबाइल पर स्मार्ट सिटी नागपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा है कि वह उस फैसले एवं सरकारी निर्देश के अनुसार पद संभाल रहे हैं।‌‌

निविदा बदली लेकिन फाइनल नहीं की: इस बीच “ट्रांसफर स्टेशन” का टेंडर रद्द कर “बायो माइनिंग” को दि जानेवाला निर्णय अध्यक्ष से परामर्श से लिया गया था। घोषित बायो माइनिंग निविदा को भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। निदेशक मंडल की प्रस्तावित बैठक में यह बदलाव रखा जा रहा है। साथ ही, कुछ कर्मचारियों को कंपनी के “वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन” की समीक्षा के बाद निकाल दिया गया था। यह मुद्दा भी निदेशक मंडल की बैठक में भी उठाया जाएगा। इस अवधि के दौरान कार्यालय व्यय और वेतन भुगतान को छोड़कर केवल एक रनिंग बिल जारी किया गया था, जो पहले से ही स्वीकृत और अनुबंधित ठेकेदार के काम से संबंधित है। जिसमे कोई वित्तीय अनियमितता नहीं थी। कोरोना की परिस्थितियों के कारण बोर्ड की बैठक नहीं हो सकी। मुंडे ने यह भी कहा है कि वह बैठक प्रस्तावित है।

एक कदम पीछे: महापौर की पुलिस मे शिकायत, नितिन गडकरी की केंद्रीय शहरी विकास मंत्री से जांच की मांग, ईन कारणो से समस्या बढ़ने की संभावना ध्यान में रखते पहले, हि एक कदम पीछे लिए जाने पर अब चर्चा जारी है। पहले मुंढे ने कहा था कि वह कंपनी की बैठक में सीईओ पद पर लगे आरोपों का जवाब देंगे।

स्मार्ट सिटी कंपनी के पद को गैरकानूनी रूप से स्वीकारने के आरोप पर चुप रहे नगर आयुक्त ने इस संबंध में विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने दावा किया कि स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष प्रवीण सिंह परदेशी ने उन्हें मोबाइल पर कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभालने का निर्देश दिया था। इससे पहले, उन्होंने पूर्व सीईओ के त्याग पत्र का हवाला दिया था।‌‌

मुंडे के खिलाफ जल्द कार्रवाई होनी चाहिए: भाजपा विधायकों द्वारा पुलिस आयुक्त को ज्ञापन

नागपुर:- 21 जून को मेसर और स्मार्ट सिटी परियोजना के निदेशक संदीप जोशी और सत्तारूढ़ दल के नेता संदीप जाधव ने डीसीपी के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि नागपुर में विकास कार्य के तकरिबन 20 करोड़ रुपये एक निजी ठेकेदार को दिए गए। इसपर वित्तीय अपराध विभाग को भेजने पर डिसीपी ने संदीप जाधव और जोशी दोनों को आश्वासन दिया गया था। हालांकि, 10 दिन बाद भी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई इसकारण पुलिस आयुक्त डॉ भूषण कुमार उपाध्याय को लिखित ज्ञापन दिया गया।

शिकायत के अनुसार, यदि नगर आयुक्त की बजाय किसी आम नागरिक या राजनीतिक दल के किसी नेता या कार्यकर्ता के खिलाफ ऐसी शिकायत दर्ज की गई होती, तो अब तक तत्काल कार्रवाई की जाती। यह उल्लेख किया गया था कि सबूतों के साथ सब कुछ होने पर भी अब तक कुछ नहीं किया गया, यह समानता के न्याय के खिलाफ है।

पुलिस आयुक्त डॉ भूषण कुमार ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि इस मामले की जल्द ही पूरी जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में भारतीय जनता पार्टी के विधायक और शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, विधायक ना गो गाणार, विधायक गिरीश व्यास, विधायक अनिल सोले, विधायक विकास कुंभारे, विधायक मोहन मते और अन्य लोग शामिल थे।‌‌

बिजली बिल: गलती नहीं यह लूटने की साजिश: विधायक दटके

नागपुर:- राज्य सरकार ने सिस्टम बिगाड दिया है। तीन महीने के बाद आए बिजली के भारी बिल से घरेलू उपभोक्ताओं को तो झटका लगा। इससे भी बड़ा झटका दुकानदारों को लगा है। तालाबंदी के दौरान लगभग तीन महीने तक दुकानें, प्रतिष्ठान, गोदाम बंद रहे। इस अवधि के दौरान, दुकानों में कोई प्रकाश या पंखा नहीं था। फिर भी MSEDCL ने भारी भरकम बिल भेजे हैं। अपनी गलतियों को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। और यह कोई गलती नहीं, बल्कि लोगों को लूटने की साजिश है, ऐसा भाजपा शहर अध्यक्ष विधायक प्रवीण दटके ने बताया।

तालाबंदी के दौरान करीब तीन महीने तक दुकानें और प्रतिष्ठान बंद थे। विधायक दटके ने सवाल उठाया कि जब एक भी पंखा नहीं चलाया गया तो भारी बिल कैसे भेजे गए। MSEDCL अपनी गलती सुधारने के बजाय हर दिन नए नए खुलासे कर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। तालाबंदी के दौरान लोगों की आमद कम हो गई।

जिनके हाथो पर पेट पलता है उनके तो निवाले भी दुष्कर हो गए हैं। कई लोग, सामाजिक संगठनों की मदद से वह टिके हुए हैं । लेकिन अब जब लॉकडाउन धीरे-धीरे कम हो रहा है, तो MSEDCL ने जनता को झटका देना शुरू कर दिया है। घरेलू उपभोक्ताओं सहित दुकानदार लोग बिलो को लेकर परेशान हैं।‌‌

महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने खुद आगे आकर उपभोक्ता असंतोष को लेकर एक परिपत्र जारी किया। इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल से बिजली की दरें कम कर दी गई हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया है कि औसत बिल होते भी कोई गलतीया नहीं है। हालांकि, तीन महीने से कारोबार, दुकानें, गोदाम नहीं खोले गए हैं। एक भी पंखा नहीं चला है। पर कोरोना अवधि के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक बड़ा तोहफा बढे बिल के रूप मे दिया गया है।

सरकार ने सिस्टम का बाजा बजा दिया है फलत: तालाबंदी का सामना फिर से करना होगा। अब जब कोई आय नहीं बची, तो बिल का बोझ कहां से ढोए। दटके ने यह भी आरोप लगाया कि यह गलती नहीं थी बल्कि आम जनता को लूटने की साजिश है।‌‌

नियमप्रिय आयुक्त आदेश से परे क्यों व्यवहार करते हैं ? मेयर जोशी

नागपुर:- निविदाओं का विभाजन, सदन को सूचित न करना, स्थायी समिति की अनुमति के बिना छुट्टी, अधिकारियों को सहमा रखना यह किस नियम मे हैं? यदि आप काम कर रहे, तो पार्षद क्या गप्प हांकने के लिए समय मांगते हैं? आजतक हुए विकास कार्यों में पार्षदों का कुछ भी योगदान नहीं है क्या? इन आरोप के साथ मेयर संदीप जोशी ने नागपुर के नगर आयुक्त तुकाराम मुंडे को नियमों का पालन करने के लिए कहा है।

“हम खुश हैं अगर आयुक्त नियमों का पालन कर रहे हैं, पर वे आसानी से नियम बदलते हैं। “सभी के लिए अलग-अलग नियम और अर्थ बदले जाते हैं। कोविड काल के चलते तत्काल कामो  के सरकार के आदेश होंगे, पर आयुक्त हमें लिखित रूप में सूचित करें और जो काम बंद कर दिया गया है उसकी भी प्रति उपलब्ध कराएं। अस्पताल कार्यों को विभाजन किन नियमों के अनुसार किया गया, कोरोना के मामले में क्या किया गया? यह सदन में बताया जाना चाहिए, घोटाले के सभी साक्ष्य देकर  अधिकारी का समर्थन करना किन नियमों में आता है उसका भी उल्लेख करना चाहिए।

निगम यंत्रणा पहले हि कम है। नगरसेवकों के पास कार्यकर्ताओं की सेना है और कोरोना काल में वह इस्तेमाल कर सकते थे। उपाय करने में मेयर पर भी भरोसा करना चाहिए था। जनहित की रक्षा के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उनपर जिम्मेदारी और कर्तव्य हैं। तो नगरसेवकों पर भी कुछ जिम्मेदारी और कर्तव्य नहीं हैं? यदि आयुक्त कह रहा है कि वह कोई गलत काम नहीं करेगे, तो उनके पिछले कार्यकाल में क्या कोई गलत काम हुए हैं? ऐसे कई सवाल महापौर द्वारा उठाए गए थे।

पार्षदों की भी जरूरी कामों पर अमल की अपेक्षाए थी और आयुक्त ने भी आश्वस्त भी किया था। लेकिन, उनके बयान आश्वासनों के विपरीत हैं। हमारी किसी अधिकारी से कोई दुश्मनी नहीं लेकिन, आयुक्त का व्यवहार शत्रुतापूर्ण है। कार्यों में बाधा के कारण लोग नगरसेवकों के पास आ रहे हैं। इसपर कमिश्नर खुश हैं। आयुक्त ने शहर के हित में एक रोडमैप तैयार किया। हालांकि, वे इस संबंध में नगरसेवकों को भरोसे मे नहीं लेते हैं। हम इसी रवैये के खिलाफ हैं।

नगरसेवकोंकी बदनामीको कमिश्नर का समर्थन: आयुक्त के फेसबुक और ट्विटर के अलावा कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं होगा। हालांकि, आयुक्त के समर्थकों ने एक पृष्ठ शुरू किया और उसमे नगरसेवकों की निंदा की। इन नेटधारकों को समझाना उनका कर्तव्य है। इस संबंध में आयुक्त की चुप्पी नगरसेवकों की बदनामी का समर्थन हि है।

केंद्र को गडकरी का पत्र: स्मार्ट सिटी में 1000 फीसदी गड़बड़ी है और हम कार्रवाई के लिए अदालत जाने वाले हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने भी इस संबंध में केंद्र को एक पत्र भेजा है। गडकरी, पूर्व मंत्री विलास मुत्तेमवार, पालकमंत्री नितिन राउत द्वारा आगे लाए गए शहर को बदनाम न करें।

अवैध रूप से दो क्वॉर्टर: सरकारी अधिकारीयो को नियम अनुरूप केवल एक सरकारी आवास उपयोग करने का प्रावधान हैं। हालांकि, मुंढे ने अभी तक मुंबई में 1,700 वर्ग फुट के सरकारी क्वार्टर को खाली नहीं किया है। शुरू में रवि भवन में और अब नागपुर में एक सरकारी बंगले में वह रहते हैं। नियमों के अनुसार, उन्हें मुंबई के आवास के लिए 150 रुपये प्रति वर्ग फुट का जुर्माना देना पड़ सकता है।

Tukaram Mundhe, Thakare to provide guidelines for lockdowns today

Nagpur: Municipal commissioner Tukaram Mundhe and collector Ravindra Thakare will provide guidelines for the lockdown period from 1 July to 31 Tuesday for the city and rural Nagpur. Chief Secretary Ajoy Mehta released a notification on Monday, extending the lockdown until July 31.

Mehta states in the notification, “Collectors and commissioners of municipal corporations may impose certain measures and required restrictions on permitted non-essential activities and movement of persons in designated local areas to contain the spread of Covid-19”

Deputy municipal commissioner Nirbhay Jain said Tukaram Mundhe would issue town limits guidelines. Deputy resident collector Ravindra Khajanchi said Thakare would do the same for rural Nagpur.
The town has registered 1,223 positive cases, the majority of which were published in June. The city’s death toll stands at 13.

From the outset, Tukaram Mundhe has been eager to place various restrictions in the city to contain the Covid-19 spread. The government had removed the city from the red zone, but Tukaram Mundhe took the matter on board and restored it. In rural Nagpur, Thakare had permitted various relaxations and is likely to allow more commercial activities. About 192 positive cases have been reported in rural Nagpur.

Shops in the city are prohibited selling tobacco related goods, tea stalls, paan kiosks, and food stalls on the roadside. Also home delivery is permitted at the wine shops. Both these commercial establishments work in rural Nagpur. Non-essential shops are permitted in town limits on alternating days.

BJP pounces on Raut for bills inflated, Congress adds fuel to the petrol hike fire

Nagpur:- On Monday, political parties organized several protests in the city. While BJP protested at six places against unsustainable power bills provided by MSEDCL, Congress leaders protested the inability of central government to rein in oil and diesel prices

No social distancing was observed at all the seven sites. Most staff didn’t wear masks, either. The MSEDCL office in Tulsibagh, where staff from BJP staged a protest. When Pravin Datke, the president of the region, reached the spot, activists stood next to one another. Datke told them to stand some distance away.

Datke slammed the state government for giving consumers unsustainable bills when the lockout caused their income to fall. He slammed energy minister Nitin Raut for seeking central government assistance to cut power bills.

“The government of Maha Vikas Aghadi (MVA) wants others to do all they can but doesn’t want to spend a single penny to help the common man. Why is it still in power when it’s so incapable? The Center has given money for rations, procurement of cotton, migrants’ train tickets etc. The MVA wants employers to pay their staff, even if they can not work. During March, however, it paid its workers just half the salary. People have lost confidence in this government entirely, “Datke said.

The BJP MLC reiterated its demands for free electricity for lockdown periods of up to 300 units, abolition of all surcharges, etc.

BJP held protests in all six constituencies of the assembly. In addition to hundreds of office-bearers, MP Vikas Mahatme, Mayor Sandip Joshi, MLAs Vikas Kumbhare, Krishna Khopade and Mohan Mate, MLCs Datke, Anil Sole, Nago Ganar, Parinay Fuke, Girish Vyas and so on attended.

Congress workers led by MLA Vikas Thakre, their city president, organized demonstrations against a continuous increase in LPG, diesel, and petrol rates. Thakre hit out for burdening people at the central government, who had been hit hard by the coronavirus recession.

In Chandrapur, Congress City Unit conducted sit-in protest in front of collectorate council. On behalf of President Ramnath Kovind, MP Balu Dhanorkar met with district collector and forwarded a memorandum of demand.

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