मेयर जोशी की हार किस कारण ?
नागपुर:- नागपुर मंडल स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में कांग्रेस के अभिजीत वंजारी की जीत पक्की हो गई है। अब भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मेयर जोशी की हार का कारण जानने कि चर्चा होने लगी है। नेटिज़न्स की राय है कि जोशी ने तत्कालीन नगर आयुक्त मुंडे पर जो दबाव डाला, उसका परिणाम उन्हें भुगतना पड़ा।
महाविकास आघाडी सरकार के गठन के बाद, मुंडे फरवरी 2020 में कमिश्नर के रूप में नागपुर आए और 26 अगस्त को उनका यहाँ से स्थानांतरण हो गया। उनका करियर केवल छह महीने तक चला। राज्य में महाविकास आघाडी और केंद्र में भाजपा यह स्थिति रहते आयुक्त और महापौर के बीच झगड़ा पहले दिन से ही शुरू हो गया। मामला पुलिस स्टेशन तक भी गया था। स्मार्ट सिटी के मुद्दे को प्रस्तुत कर उन्हें घेरने का हर संभव प्रयास किया गया।
युवा लोग सोशल मीडिया पर आज तुकाराम मुंडे केस उन्हे ले डूबी, ईमानदार आदमी को इस तरह परेशान किया जाए तो यही फल पाए, इस तरह कि प्रतिक्रियाए व्यक्त कर रहे हैं, तुकाराम मुंडे के काम ने नागपुर और राज्य भर के युवाओं को प्रभावित किया था। यह हजारों युवाओं द्वारा कमिश्नर के आधिकारिक निवास ‘तपस्या ’के सामने उनके स्थानांतरण के बाद बनी भिड से देखा गया था। नागपुर के युवक अलविदा कहने के लिए कोरोना की तालाबंदी के बावजूद उस दिन सड़कों पर उतर आए थे। सड़क के दोनों ओर कमिश्नर के बंगले के सामने खड़े होकर उन्हें गुलाबपंखुडी से नहलाया गया।
महापौर-आयुक्त विवाद पहले ही दिन से शुरू हुआ जब मुंडे नागपुर नगर निगम के आयुक्त बने। सत्तापक्ष ने मुंडे को परेशानी में डालने का कोई मौका नहीं छोड़ा। आम बैठक में, सत्तापक्ष का हर सदस्य उनको पकड़ में लेने तैयार बैठा था। इतना कि कोरोना काल में, कवि सुरेश भट हॉल की बैठक छोड़कर बाहर जाना पड़ा। इसका भी राजनीतिक लाभ लेने का हर संभव प्रयास किया गया। लेकिन मुंडे ने अपनी भूमिका से टस से मस ’नहीं किया और अपनी भूमिका को जारी रखा।
आज जब मेयर जोशी की हार हो रही है, सब मुंडे को याद कर रहा है, नेटिझन्स और नागपूरकर यही प्रतिक्रिया दे रहे है। भले ही सैकड़ों अन्य कारण हों, पर मुंडे को याद करना उनके काम की स्वीकार्यता है।
वर्तमान स्थिति: (10 दौर की समाप्ति के बाद)
अभिजीत वंजारी – 56155
संदीप जोशी -41622
राहुल वानखेड़े -3798
अतुल खोबरागड़े -8545
नितेश कराले – 6946
प्रशांत डेकाटे – 1529