नागपुरकर क्यो कर रहे मुंढे और राधाकृष्णन की कार्यशैली की तुलना
नागपुर:- नागपुर के नगर आयुक्त राधाकृष्णन बी को आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालते सोमवार को एक महीना हो गया। इस बीच नागपुर में, एक ओर, कोविड रोगियों की संख्या और परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में वृद्धि हो रही थी, ऐसे काल मे कार्यभार स्वीकारना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी।
हालांकि, एक महीने के भीतर ही, कोरोना में स्थिति को नियंत्रित करने के उनके प्रयास और उनके द्वारा किए गए निर्णय सफल होते दिख रहे हैं। क्या खास है कि सत्तापक्ष पुर्व आयुक्त मुंढे और राधाकृष्णन बी दोनोपर उनकी कार्यशैली के पोस्टर फ्लैश किए जा रहे हैं, और राधाकृष्णन बी, कितने अधिक सक्षम हैं यह बताने की कोशिश की जा रही है।
नागपुर नगर निगम के आयुक्त के रूप में मुंढे का कार्यकाल बहुत खास रहा है। खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनकी कार्यशैली की प्रशंसा की। हालांकि, उसके तुरंत बाद कोर्ट आदेश, कॉरंटाइन होना एवं उनका तबादला भी कर दिया गया और राधाकृष्ण बी को नागपुर महानगर पालिका के आयुक्त के रूप में भेजा गया। भाजपा नेता बार-बार कह रहे है कि उन्होंने पद ग्रहण करने के बाद केवल एक महीने में नागपुर शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है।
राजनीति परे रखे तो यह भी समझने लायक है कि निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध बिस्तरों की कमी वाली बात पर उन्होंने जादा ध्यान देकर, पहले केवल सात निजी अस्पतालों में लगभग 300 बेड थे। जिन्हे अब शहर भर में कुल 53 अस्पतालो को नागरिकों की सेवा के लिए उपलब्ध कराया गया हैं। “मेरा परिवार मेरा दायित्व” अभियान 15 सितंबर से शुरू हुआ है। उसकी जिम्मेदारी भी राधाकृष्णन बी के नेतृत्व में, युद्ध स्तर पर जारी है।
निगम द्वारा कुल 65 एम्बुलेंस प्रदान की गई हैं, जिनमें से प्रत्येक झोन क्षेत्र में 5 एम्बुलेंस प्रदान की गई हैं। कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए नागपुर महानगर पालिका द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर कोविड नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। संबंधित क्षेत्रों के सहायक आयुक्तों को कोविट नियंत्रण कक्ष के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। कोरोना टेस्ट बढ़ाए जाने संबंध में निर्णय, अब घर घर जाकर जांच आदी और ऐसे कई निर्णय नए आयुक्त की कार्यक्षमता सिद्ध कराते हैं