जिला परिषद 30 अगस्त तक बंद- मुख्यालय के सभी कार्यालय होंगे सैनिटाइज
नागपुर:- दरअसल जिला परिषद मुख्यालय में लगातार कोरोना मामले बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमण का फैलाव देखते हुए अब इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए सभी कार्यालयों का सेनेटाईजेशन करने के लिए 30 अगस्त तक मुख्यालय बंद रखने के आदेश सीईओ योगेश कुंभेजकर की ओर से जारी किए गए।
जारी किए गए आदेश के हिसाब से सोमवार से शुरू होगा सेनेटाईजेशन का काम। जिसके तहत कार्यालय कामकाज के लिए बंद रहेंगे।कोविद-19 व जरूरी सेवा से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों को छोड़कर निर्धारित समयावधि में सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग को मुख्यालय की पूरी बिल्डिंग सेनेटाईज करने के निर्देश दिए गए। सभी डिपार्टमेंटल हेड्स को कार्यालय सेनेटाईज करने के लिए एक जिम्मेदार कर्मचारी और सहयोगी की नियुक्ति करने के आदेश दिए गए हैं।
कोरोना सिम्पटम्स पाए जाते ही विभाग प्रमुख से करें सम्पर्क।सीईओ की तरफ से जारी किए गए निर्देशानुसार निर्धारित समय के भीतर सभी विभागों के कार्यालय सेनेटाईज करने होंगे। जिसके तहत रोज़ सेनेटाईजेशन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जारी किए गए आदेशों से भले ही 30 तक कार्यालय बंद रहे, लेकिन जरूरी कामों के विषय में कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ने पर कार्यालय में उपस्थित रहना होगा।
सीईओ के निर्देशों में कहा गया कि जरूरी कामों के लिए महाराष्ट्र नागरी सेवा नियम 1981 के नियम 34 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को बुलाए जाने पर उसे तुरंत उपस्थित रहना होगा। साथ ही अधिकारी और कर्मचारी को दिए गए जरूरी सरकारी कामकाज को खत्म करने के लिए इस समय ई-मेल या वाट्सअप के जरिए वरिष्ठ अधिकारियों के कॉन्टैक्ट में रहने के आदेश भी दिए।दरअसल कि एक हफ्ते पहले ही 3-4 डिपार्टमेंट्स में कर्मचारियों के कोरोना इंफेक्टेड निकलने के बाद सीईओ ने मुख्यालय में अधिकारियों, पदाधिकारियों व जिप सदस्यों व कर्मचारियों को छोड़कर शेष किसी के भी प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
शिक्षा, स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन विभाग में कर्मचारियों के कोरोना पाजिटिव मिलने के बाद से ही बाकी कर्मचारियों में इस बात को लेकर रोष था कि कार्यालय में जो बाहरी लोग अपने कामों के लिए बड़ी तादात में आ रहे हैं उससे उन्हें भी खतरा है। कुछ डिपार्टमेंट्स के कर्माचारियों में तो इस बात को लेकर गुस्सा था कि सरकार ने 15 फीसदी या 15 कर्मचारियों को ही रोटेशन में ड्यूटी पर बुलाया जाना चाहिए लेकिन 1-2 विभागों में उससे ज्यादा लोगों की ड्युटी लगाई जा रही थी।