कभी किसी ने उन्हें ठुल्ला कहा ,तो कभी किसी ने घूसखोर,कभी वर्दी वाला गुंडा कहा तो कभी कुछ और। ….. अब आप समझ ही गए होंगे आज हम किसकी बात करने जा रहे हैं।जी हां यहां बात हो रही है एक ऐसी प्रशासनिक सेवा की जिसकी अधिकतर आलोचना ही होती है। इतना गरिमामय पेशा होने के बाद भी कुछ लोग इसे बिल्कुल भी इज्जत नहीं देते।पुलिस ऑफिसर्स को सम्मान नहीं देते।
जबकि देखा जाए तो पुलिस प्रशासन हर मुश्किल घड़ी में मुस्तैद रहता है।चाहे 26 /11 के वक़्त एसआई अशोक काम्टे हों,चाहे बाढ़ या भूकंप हो,चाहे शाहीन बाग में लोगों से पत्थर खाये हों ,चाहे दंगे फसाद को रोकने की कोशिश में खुद की जान गँवाई हो ,अब और चाहे यह कोरोना युद्ध ही क्यों ना हो।
इस खाकी वर्दी ने हमेशा संकट काल में अपने साहस और कर्तव्यनिष्ठ होने का परिचय दिया है।भले ही कुछ लोगों ने इन्हे अंडरएस्टिमेट किया हो ,इनके चरित्र और घटनाओं को अलग तरह से छायांकित किया हो।
लेकिन जब जब बात आमजनता पर संकट की आती है सबसे पहले सरकार इस महकमे को लोगों की ज़िम्मेदारी देती है। कई बार नेता,अभिनेता इन्हें बेड लाईट में दिखा के कुछ व्यक्ति विशेषों से या कुछ आमजन से सहानुभूति और वोट्स जीत लेते हैं।लेकिन वो कहते हैं ना के कुछ प्रोफेशन,जॉब नहीं होते ज़िम्मेदारी होते हैं,कर्तव्य होते हैं जिनका पैसों से कोई मोल नहीं चुकाया जा सकता।
अब आज की स्तिथि को ही देखलो ,जब से ये लॉक डाउन की घोषणा हुई है तब से आप गौर करें तो पाएंगे पुलिस ऑफिसर की दिन भर की ड्यूटी है। कुछ की रात भर गश्त की।कभी बरेली पुलिस,कभी दिल्ली कभी पंजाब,कभी प्रयागराज,कभी इंदौर पुलिस,कभी नागपुर, पुलिस किसी भी राज्य की क्यों ना हो अपनी जान की परवाह किए बिना ड्यूटी दे रही है।सिर्फ ड्यूटी ही नहीं दे रही बल्कि लोगों की सहायता भी कर रही है।जो लोग निराश्रित हैं उनको खाना देना , कुछ लोग जो अपने घर नहीं पहुंच पा रहे उनकी मदद करना।
कोरोंना के पेशेंट के स्पेशल वार्ड के बाहर ड्यूटी तक दे रहें हैं।कोरोना संक्रमण का तो यह हाल है के रिश्तेदार भी किसी अपने को कोरोना होने पर ना पूछे।ऐसे लोगों की देखभाल ये खांकी वाले कर रहे हैं।वहां ड्यूटी दे रहे हैं। इनका भी को तो परिवार है,इन्हे भी तो कोरोना जैसा संक्रमण हो सकता है लेकिन फिर भी यह अपने और अपने परिवार वालों की ना सोच कर ड्यूटी दे रहे हैं।
इन्हें ये सब कर के मिलता क्या है?चन्द रुपए की सैलरी और बस आलोचना ही आलोचना।कुछ भी हो सरकार भी इन्हें गाली दे के अपनी ज़िम्मेदारी से बच जाती है।जनता भी अपनी गलतियों को छुपाने के लिए खुद निर्दोष बन कर इनपे भंडा फोड़ देती है।
आखिर कब तक ये लोग अपने कामों के लिए सिर्फ आलोचना ही सुनेगे।कभी तो हम इनकी पीठ थपथपा के कह सकते हैं के “धन्यवाद हमारी सुरक्षा करने के लिए,हम बहुत खुश हुए।आपने अपनी ड्यूटी बहुत अच्छे से की है “.
ये सड़कों पर इसलिए खड़े हैं क्योंकि आप घर ही रहें ,बाहर मौज करने के चक्कर में संक्रमण को न्यौता ना देदें ।
तो आइए हम थोड़ा सा नजरिया बदल के इनके ज़िंदगी के भी कुछ पहलुओं को समझते हैं थोड़ा सम्मान करते हैं।और इनकी वर्दी को,ड्यूटी को,जज्बे को सलाम करते हैं। नागपुर अपडेट्स भी नागपुर पुलिस के जोश और जज़्बे को सलाम को करता है।
By Paridhi Raghuvanshi