कोरोना गया क्या? खरीदारी के लिए शहर के बाजारों में उमड रही भिड

नागपुर: शहरवासी अब कोरोना से नही डरते। शहर के बाजारों में रोज बढ रही भीड़ देख यही कहा जा सकता है। खुद को जिम्मेदार कहलाते नागरिक और व्यापारी कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतने के बजाय बाजार में महामारी काल में लागु नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं। नतीजतन, प्रशासन की चिंताए और गहरा रही है। कुछ दिन पुर्व में दि गई चेतावनी के अनुसार सितंबर माह सही में कोरोना के लिए सबसे घातक महीना साबित हो रहा है, इस माह मौतों के मामले और कोरोना रोगी भी कई अधिक बढे। हालाँकि, चर्चा धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है कि तालाबंदी ही समस्या का अब एकमात्र समाधान है। पर ऐसा कहने वाले ही खुलेआम घूमते दिखाई पड़ रहे हैं। कोरोना का कहर कई गुणा गहरा होकर कसता जा रहा है। हर दिन २००० संक्रमित और ४० से ५० लोग मौते हो रही हैं। इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन नागपुरकर अपनी गैरजिम्मेदारी दिखा बाजारो की रौनक भीड़ बनाकर बढ़ा रहे है। महल, बर्डी, सदर, सक्करदरा, कॉटन मार्केट, कलमना, इतवारी, गांधीबाग और अन्य जगहो में हर दिन नागरिकों की भीड़ बढ़ती देखी जा सकती है। नियमों की अनदेखी कर दुकानों पर बढती भीड़ के लिए व्यापारि भी आंखें मूंदे रखते हैं। पिछले माह, तत्कालीन नगर आयुक्त मुंढे ने बाजारो में बढ़ती भीड़ देख तालाबंदी की चेतावनी दी थी। लेकिन स्थानीय व्यापार संघ ने राजनीतिक दलों की मदद से उनका विरोध किया। लेकिन अब कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और मौतों से व्यापारी वर्ग भी चिंतित हैं। नतीजतन, कई लोग अब कर्फ्यू लगाने के पक्ष में बोल रहे हैं। होलसद कपड़ा संघ ने जिम्मेदारी निभाते एक सप्ताह का मार्केट बंद रखा है, ऐसे प्रयासों की उम्मीदें अन्य सभी से कि जा रही है। शहर में मास्क नहीं पहनने के लिए ₹200 का जुर्माना अब बढ़ाकर ₹500 कर दिया गया है, फिर भी बाजारो में भीड़ लगातार बनी है। कोरोना का लगातार फैलता शिकंजा फिलहाल काबू से बाहर है और शहर के सभी अस्पताल मरीजो से खचाखच भरे पड़े हैं, ऐसे में बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण पीड़ितों की सेवा करने वाले डॉक्टर और पुलिसकर्मी भी अपनी जान गंवा रहे हैं। नागरिक इस तरह की गंभीर स्थिति को भी हल्के में ले रहे हैं। यह सच में चिंताजनक बात है। शहर में कहीं भी देखे तो सामाजिक दूरी की कोई भावना किसी में नहीं नजर आई है। कोरोना ने शहर, जिले के सभी क्षेत्रों में घुसपैठ की है। घर से बाहर निकलना घातक हो सकता है। भीड़ से बचने के लिए, कई कार्यालयों ने कर्मचारियों को ६ माह तक के लिए घर से काम करने की अनुमति दी है।‌‌ पर फिर भी कई लोग बिना वजह घुमते देखे जा सकते हैं, रेहड़ी वाले, फुटपाथ किनारे लगे स्टॉल्स पर भी लोग दुरियां नही बना पाते हैं, प्रशासन की लगातार जागरूकता अभियानो का कईयो पर कुछ भी असर नहीं हुआ पाया जा सकता है।

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