“डॉक्टर्स डे स्पेशल”- डॉक्टर्स भी किसी फरिश्ते से कम नहीं,किंतु डॉक्टर्स के प्रति और संवेदनशील होना जरूरी

नागपुर: कहा जाता है की डॉक्टर्स भी फरिश्तों से कम नहीं।कोरोना वायरस जैसी महामारी में इन डॉक्टर्स रूपी फरिश्तों ने ही हॉस्पिटल्स में पीपीई किट पहनकर कोरोना से जंग लड़ी। 
कई लोग ने तो अपनी जान बचाने वाले डॉक्टर्स को धन्यवाद देने के बजाए उन पर हमला किया यहां तक के उन पर थूका भी।अब इसमें सवाल उठ रहे हैं कि यह समाज कब जागेगा और डॉक्टर्स की मानसिक स्थिति को समझेगा।

आज हम कुछ डॉक्टर्स की राय और विचार आपसे साझा करेंगे। महाराष्ट्र चिकित्सा सेवा अधिनियम के तहत डॉक्टरों पर हमला करने वालों को सजा दी जाती है। फिर भी कोविड काल में मार्च 2020 से अब तक राज्य में 69 डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले हो चुके हैं।जान बचाने वालों के साथ इतना रूखा और अमानवीय व्यवहार आखिर कब तक सहन किया जाएगा।

समाज में हर घटना के प्रति सकारात्मक नजरिया बनाने से डॉक्टरों को ऊर्जा मिलेगी।यदि डॉक्टरों को निडर होकर मरीजों की सेवा करने की अनुमति दी जाए तो कठिन परिस्थितियों को दूर किया जा सकता है।डॉक्टर और मरीज के बीच एक भावनात्मक संबंध बनाकर इसे बनाए रखे रहना चाहिए।

-डॉ. आनंद संचेती, कार्डियोलॉजिस्ट, नागपुर।

लगभग 75 प्रतिशत निजी डॉक्टरों को अपनी प्रैक्टिस में कम से कम एक बार पिटाई का सामना करना पड़ता है। मारपीट में रिश्तेदारों ने 68 प्रतिशत हिस्सा लिया। इसमें 50 फीसदी मामले आईसीयू के सामने हुए।नकारात्मक बदलाव समाज को एक अलग दिशा में ले जाएंगे।

-डॉ. वाई एस देशपांडे, पूर्व अध्यक्ष, आईएमए-महाराष्ट्र

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